संघीय संसद्का अधिकांश पदाधिकारी र सदस्यले सहसचिवदेखि अधिकृतस्तरको तलब दिएर नियुक्त गरेका स्वकीय सचिव ‘योग्य’ छैनन्। विधि निर्माताहरूकै यो मनपरीले कानूनको अवज्ञा मात्रै भएको छैन, राज्यको लगानी समेत दुरुपयोग भइरहेको छ।
राष्ट्रिय सभाका अध्यक्ष नारायणप्रसाद दाहालका स्वकीय सचिव हुन्, सिन्धुपाल्चोकका विष्णुप्रसाद सापकोटा (जुगल)। संसद् सचिवालयबाट उनले सहसचिव सरहको सेवा–सुविधा पाउँछन्। एउटा सरकारी गाडी र राजेन्द्र श्रेष्ठ नाम गरेका चालक सुविधा पनि उनले लिएका छन्।
संसद् सचिवालयका स्थायी कर्मचारी सरह उनले यसपालि एक महिनाको तलब बराबरको बजेट भत्ता पनि बुझिसके। तर, उनको शैक्षिक योग्यता भने १२ कक्षासम्म मात्रै छ। आफूले संसद् सचिवालयमा जे विवरण बुझाएको छ त्यही नै आफ्नो योग्यता भएको उनले बताए। उनी भन्छन्, ‘मैले प्लस टूसम्म पढेको छु।’
प्रतिनिधिसभाका सभामुख देवराज घिमिरेका स्वकीय सचिव तेजप्रकाश भट्टराईले पनि राष्ट्रिय सभाका अध्यक्ष दाहालका स्वकीय सचिव सापकोटाले जस्तै सेवा–सुविधा पाइरहेका छन्। गाडी, चालक अनिल ढकाल र इन्धन सुविधा लिइरहेका उनले पनि नियम विपरीत बजेट भत्ता लिइसकेका छन्। संसद् सचिवालयले उपलब्ध गराएको उनको योग्यता स्नातक तहसम्म मात्रै छ। जबकि सहसचिव पदका लागि आवश्यक शैक्षिक योग्यता स्नातकोत्तर तह हो।
स्वकीय सचिवकाे शैक्षिक याेग्यता
(राष्ट्रिय सभा सदस्य)
राजनीतिक दल छान्नुहाेस्रिसेट गर्नुहाेस्याेग्यता पुगेकायाेग्यता नपुगेकाउपलब्ध नभएकाे
सदस्यकाे नाम | सम्बन्धित प्रदेश | स्वकीय सचिवको नाम | शैक्षिक याेग्यता | तलब सुविधा लिएकाे पद |
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नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (एकीकृत समाजवादी) – ५ | ||||
उदय बहादुर बोहरा | कर्णाली | खल बहादुर बोहरा | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
गोमा देवी तिमिल्सीना | बागमती | नवराज वस्ति | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
घनश्याम रिजाल | बागमती | नन्दराज घतानी | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
जयन्ती देवी राई | कोशी | रोजिन राई | स्नातक | उपसचिव |
सावित्री मल्ल | कर्णाली | जयन्ती राणा (मल्ल) | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
नेपाली काँग्रेस – ५ | ||||
कमला देबी पंत | गण्डकी | संजिव सोडारी | स्नातक | उपसचिव |
कृष्ण प्रसाद सिटौला | कोशी | प्रेम विक्रम भट्टराई | स्नातक | उपसचिव |
गोपाल कुमार वस्नेत | कोशी | हेम राज बस्नेत | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
नारायण दत्त मिश्र | सुदूरपश्चिम | राजन मिश्र | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
पदम बहादुर परियार | गण्डकी | सन्ध्या नेपाली | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (माओवादी केन्द्र) – ७ | ||||
गोपी बहादुर सार्की आछामी | कोशी | आयुद आछामी | प्लस टु | उपसचिव |
जगत बहादुर पार्की | सुदूरपश्चिम | अनिल बोहरा | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
जगप्रसाद शर्मा | लुम्बिनी | हिरालाल सुनार | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
तारा मान स्वार | सुदूरपश्चिम | गोमाकुमारी श्रेष्ठ | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
मनरुपा शर्मा | गण्डकी | तारादेवी रिजाल शर्मा | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
माया प्रसाद शर्मा | कर्णाली | ऋजित आचार्य | प्लस टु | उपसचिव |
श्रीकृष्ण प्रसाद अधिकारी | बागमती | जयराम अधिकारी | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (एमाले) – २ | ||||
तुलसा कुमारी दाहाल | मधेश | निकिता बस्नेत | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
सोनाम गेल्जेन शेर्पा | कोशी | छोयिङ शेर्पा | स्नातक | उपसचिव |
मनोनीत – १ | ||||
नारायण प्रसाद दाहाल | मनोनित | विष्णु प्रसाद सापकोटा | प्लस टु | सहसचिव |
जनता समाजवादी पार्टी नेपाल – १ | ||||
मृगेन्द्र कुमार सिंह यादव | मधेश | धर्म देव साह | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी (नेपाल) – १ | ||||
शेखर कुमार सिंह | मधेश | प्रवीन कुमार यादव | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
‘संसद् सचिवालयले मलाई मेरो शैक्षिक योग्यता अहिलेसम्म माग गरेकै छैन। मैले बुझाएको पनि छैन। तपाईंलाई कसले के दियो मलाई थाहा भएन’ उनले भने, ‘कतिपय यस्तो पद हुन्छ त्यसमा राजनीतिक नियुक्ति हुन्छ। यसको छुट्टै प्रावधान हुन्छ।’
संघीय संसद्का पदाधिकारी तथा सदस्यहरूको पारिश्रमिक र सुविधा सम्बन्धी ऐन २०७३ अनुसार स्वकीय सचिवालयका कर्मचारीहरूले शुरू स्केल अनुसारको तलब मात्रै पाउँछन्। संसद्ले बजेट पारित गरेपछि स्थायी कर्मचारी र मर्यादापालकले मात्रै एक महिनाको तलब बराबरको बजेट भत्ता पाउने व्यवस्था छ।
तर, सचिवालयले स्वकीय सचिवहरूलाई पनि स्थायी कर्मचारी सरह भत्ता, गाडी, तेल र ड्राइभर सुविधा उपलब्ध गराउँदै आएको छ। त्यति मात्र होइन उनीहरूलाई अतिरिक्त भत्ता, महँगी भत्ता र खाजा÷खाना समेत उपलब्ध हुन्छ। संसद् सचिवालयले सभामुख, उपसभामुख, राष्ट्रिय सभा अध्यक्ष र उपाध्यक्षका सचिवालयमा रहेका २८ जना कर्मचारीको खातामा पनि यसपालिको बजेट भत्ता पठाइसकेको छ।
ऐनको अनुसूची–२ मा प्रतिनिधिसभाको सभामुख र राष्ट्रिय सभाको अध्यक्षले राजपत्राङ्कित प्रथम श्रेणी (सहसचिव) सरहका स्वकीय सचिव १ जना, राजपत्राङ्कित द्वितीय श्रेणी (उपसचिव) सरह १ जना, राजपत्राङ्कित तृतीय श्रेणी (अधिकृत) स्तरका १ जना राख्न पाउने व्यवस्था गरेको छ।
त्यस्तै उपसभामुख, उपाध्यक्ष, प्रतिनिधिसभा र राष्ट्रिय सभामा विपक्षी दलका नेता, सत्तापक्षका नेता, सत्तापक्षका मुख्य सचेतक, उपसभामुख र उपाध्यक्षले निजामती सेवाका उपसचिवस्तरको स्वकीय सचिव राख्न पाउँछन्। विपक्षी दलको प्रमुख सचेतक, संसद्मा विभिन्न समितिका सभापति, सचेतकहरूले पनि उपसचिवस्तरको स्वकीय सचिव राख्न पाउँछन्।
यही कानूनलाई टेकेर संसद्का पदाधिकारीले स्वकीय सचिव नियुक्त गरी पारिश्रमिक र अन्य सुविधा उपलब्ध गराए पनि, १८ जना पदाधिकारीले राखेको स्वकीय सचिवको योग्यतामा आँखा चिम्लिदिएका छन्। सूचनाको हक प्रयोग गरेर प्राप्त जानकारी अनुसार, उपसचिव स्तरका कर्मचारीले कम्तीमा स्नातकोत्तर अध्ययन गरेको हुनुपर्नेमा कसैले स्नातक, धेरैले १२ कक्षा र अन्यले १० कक्षा मात्रै पढेका स्वकीय सचिव नियुक्त गरेको भेटिएको छ।
निजामती ऐनको दफा ७ को उपदफा १६ मा कुन दर्जाको लागि कति योग्यता हुनुपर्ने स्पष्ट उल्लेख छ। खुला प्रतियोगिताद्वारा पूर्ति गरिने राजपत्राङ्कित द्वितीय (उपसचिव) र प्रथम श्रेणी (सहसचिव) को लागि स्नातकोत्तर उपाधि प्राप्त गरेको, कुनै सरकारी सेवा, संगठित संस्थामा निश्चित वर्ष काम गरेको हुनुपर्छ। तृतीय श्रेणी (शाखा अधिकृत) पदको लागि स्नातक हुनुपर्ने उल्लेख छ। अझ सेवा अनुसार फरक विषय पढेको हुनुपर्ने समेत व्यवस्था छ।
माननीयको मनपरी
ऐनले संघीय संसद्का सदस्यहरूलाई पनि एक जना अधिकृतस्तरका स्वकीय सचिव राख्न पाउने व्यवस्था गरेको छ। त्यस अनुसार नियुक्त स्वकीय सचिवमध्ये राष्ट्रिय सभाका १६ र प्रतिनिधिसभाका ७६ सांसदले नियुक्त गरेका कुल ९२ स्वकीय सचिवहरूको योग्यता अधिकृत सरहको छैन। कतिपय त ८ कक्षासम्म मात्र अध्ययन गरेका छन्। कुनै मापदण्ड पूरा नगरी नियुक्त भएका यी स्वकीय सचिवहरूलाई पनि राजपत्राङ्कित तृतीय श्रेणीका अधिकृत सरहको पारिश्रमिक र सुविधा दिइएको छ।
सांसद र पदाधिकारीले दिएको पत्रका आधारमा संसद् सचिवालयले स्वकीय सचिव र कर्मचारीको अभिलेख राख्छ। स्वकीय सचिवको विवरण अद्यावधिक गर्न बनाइएको फारममा उनीहरूको शैक्षिक योग्यता र व्यक्तिगत विवरण भर्न लगाइन्छ तर, त्यसको तथ्यजाँचसम्म पनि गरिंदैन। ‘आधारभूत तह मात्रै पढेको कसैले शैक्षिक योग्यता स्नातक लेख्यो भने पनि हामीले त्यही विवरणलाई रेकर्डमा राख्ने हो’, सचिवालयका एक कर्मचारीले भने।
स्वकीय सचिवकाे शैक्षिक याेग्यता (प्रतिनिधि सभा सदस्य)
सदस्यकाे नाम | जिल्ला/निर्वाचन क्षेत्र | स्वकीय सचिवको नाम | शैक्षिक याेग्यता | तलब सुविधा लिएकाे पद |
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नेपाली काँग्रेस – २५ | ||||
अजय कुमार चौरसिया | पर्सा-२ | चन्दन सहनी | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
कल्पना चौधरी | सुनसरी | जस्वन गच्छदार | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
कुसुमदेवी थापा | रुकुम पूर्व | नितान्त थापा | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
डा. सुनिल कुमार शर्मा | मोरङ-३ | विवेक योङहाङ | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
डिग बहादुर लिम्बु | मोरङ-१ | साजन कुंवर | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
दिनेश कुमार यादव | सप्तरी-३ | अनिल कुमार यादव | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
देव प्रसाद तिमलसेना | रौतहट-४ | मुकेश गीरी | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
नागिना यादव | महोत्तरी | सरिता यादव | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
प्रदिप पौडेल | काठमाडौँ-५ | मनोज आचार्य | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
महेन्द्र कुमार राय | महोत्तरी-४ | बिरेन्द्र राय | आठ कक्षा | शाखा अधिकृत |
मोहन बहादुर बस्नेत | सिन्धुपाल्चोक-२ | रामेश्वर आचार्य | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
राजु थापा | स्याङ्जा-१ | कुम बहादुर गुरुङ | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
राजेन्द्र कुमार के.सी. | काठमाडौँ-१० | विनोद गुरुङ | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
राजेन्द्र बजगाई | गोरखा-१ | बुद्धि प्रसाद भट्ट | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
राम कृष्ण यादव | धनुषा-२ | श्रवण कुमार कुशियैत | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
राम नाथ अधिकारी | धादिङ-२ | नवराज तिमल्सिना | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
रामहरि खतिवडा | ओखलढुङ्गा-१ | हुकुम सिं राई | स्नातक | उपसचिव |
विना कुमारी थनैत | नवलपरासी पूर्व | भोज बहादुर थनेत | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
विमलेन्द्र निधी | धनुषा | उमेश कुमार पुर्वे | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
विष्णु कुमार कार्की | नवलपरासी पूर्व-२ | राजु पाण्डे | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
शान्ती वि.क. | चितवन | दिपक राज पौडेल | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
संगिता मण्डल धानुक | महोत्तरी | मान वहादुर बस्नेत | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
संजयकुमार गौतम | बर्दिया-१ | घनश्याम थारू | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
सन्तोष चालिसे | काठमाडौँ-३ | निराजन अर्याल | स्नातक | उपसचिव |
सुशिला थिङ | सिन्धुली | पुकार के.सी. | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
जनमत पार्टी – ३ | ||||
अनिता देवी | धनुषा | दिपेश यादव | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
अब्दुल खांन | बर्दिया | पंच नन्दन माझी | प्लस टु | उपसचिव |
गोमा लाभ (सापकोटा) | महोत्तरी | मानशी झा | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
राष्ट्रिय प्रजातन्त्र पार्टी – ७ | ||||
अनिशा नेपाली | सल्यान | पवित्रा नेपाली | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
गिता वस्नेत | बर्दिया | कुमारी पार्वती लम्साल | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
ज्ञानबहादुर शाही | जुम्ला-१ | गोकर्ण कठायत | प्लस टु | उपसचिव |
दिपक बहादुर सिंह | मकवानपुर-१ | प्रकाश चौलागाई | प्लस टु | उपसचिव |
ध्रुव बहादुर प्रधान | नवलपरासी पश्चिम-२ | हेम बहादुर थापा | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
पशुपति शमशेर ज.ब.रा. | सिन्धुपाल्चोक | केशव बहादुर कटुवाल | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
विना लामा | धादिङ | चन्द्र कुमार लामा | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (माओवादी केन्द्र) – १९ | ||||
अमन लाल मोदी | मोरङ-४ | विनोद सिंह | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
उर्मिला माझी | लमजुङ | सामना तामाङ | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
गंगा कार्की | दोलखा-१ | रामचन्द्र कार्की | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
छिरिङ डम्डुल लामा (भोटे) | हुम्ला-१ | दिप बहादुर सिंह | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
छिरिङ ल्हामु लामा (तामाङ) | जुम्ला | जगदिश शर्मा | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
ज्ञानु बस्नेत सुवेदी | चितवन | विष्णु दवाडी | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
दुर्गा राई | भोजपुर | खाबालुङ राई | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
देवेन्द्र पौडेल | बाग्लुङ-२ | राजन पौडेल | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
पुर्णबहादुर घर्ति | रुकुम पूर्व-१ | शरद घर्ति | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
पुष्प कमल दाहाल (प्रचण्ड) | गोरखा-२ | खोप बहादुर कडेल | स्नातक | उपसचिव |
बिमला सुवेदी | नुवाकोट | उत्तम घिमिरे | स्नातक | उपसचिव |
महेन्द्र बहादुर शाही | कालिकोट-१ | विदेश शाही | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
मिना तामाङ | काभ्रेपलान्चोक | डोल्मा तामाङ | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
मिना यादव | सर्लाही | अमनिश कुमार यादव | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
रुपा सो.शी. (चौधरी) | कैलाली | सुरेन्द्र देवकर | प्लस टु | उपसचिव |
सुदन किराती | भोजपुर-१ | राजेश खतिवडा | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
सुर्यमान तामाङ (दोङ) | काभ्रेपलान्चोक-१ | श्याम बहादुर तामाङ | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
सुशिला सिर्पाली ठकुरी | अर्घाखाँची | लक्ष्मी सिंह ठकुरी | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
हितबहादुर तमाङ | नुवाकोट-१ | रुपक तामाङ | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (एकीकृत समाजवादी) – २ | ||||
अम्मर बहादुर थापा | दैलेख-१ | ई. मिलन बि.सी. | स्नातक | उपसचिव |
कृष्ण कुमार श्रेष्ठ | बारा-४ | जगत बहादुर खड्का | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
नागरिक उन्मुक्ति पार्टी – २ | ||||
अरुण कुमार चौधरी | कैलाली -२ | प्रसिद्ध चौधरी | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
गंगाराम चौधरी डगौरा | कैलाली -३ | छोट बहादुर कठरिया | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
राष्ट्रिय स्वतन्त्र पार्टी – ४ | ||||
अशोक कुमार चौधरी | सुनसरी | रबिन भुर्तेल | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
डा. स्वर्णिम वाग्ले | तनहुँ-1 | खोमनाथ अधिकारी | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
बिनिता कठायत | जुम्ला | अपेक्षा सुवेदी | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
शिव नेपाली | कास्की | विकास गुरुङ | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
नेपाल कम्युनिष्ट पार्टी (एमाले) – २१ | ||||
अस्मा कुमारी चौधरी | दाङ | मनोज चौधरी | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
इश्वर बहादुर रिजाल | दोलखा | टंक बहादुर थापा क्षेत्री | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
इश्वरी घर्ती | रोल्पा | सोनाम डिकु शेर्पा | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
उर्मिला थेबे | ताप्लेजुङ्ग | रम्बीला लिम्वू | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
ऋषिकेश पोखरेल | मोरङ-२ | अनिल कुमार पोखरेल | स्नातक | उपसचिव |
छविलाल विश्वकर्मा | रुपन्देही-१ | हरि बहादुर नेपाली | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
ज्वाला कुमारी साह | बारा-३ | रबिन्द्र पटेल | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
दयाल बहादुर शाही | बाजुरा | ध्रुब वहादुर सिंह | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
दामोदर भण्डारी | बैतडी-१ | बिक्रम सिंह भण्डारी | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
बिना देवी | रौतहट | चन्दन कुमार साह | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
मंगल प्रसाद गुप्ता | कपिलवस्तु-३ | बृजेश कुमार गुप्ता | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
महेश कुमार बर्तौला | मकवानपुर-२ | आशिष अस्लामी | स्नातक | उपसचिव |
रघुजी पन्त | काठमाडौँ | बाबुकृष्ण भेटवाल | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
राजकुमार गुप्ता | पर्सा-३ | महम्मद निजमुदिन | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
रुक्मणी राना बराइली | काभ्रे | बिष्णु बहादुर मिजार | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
लक्ष्मी महतो कोइरी | महोत्तरी-१ | मिथिलेश प्रसाद यादव | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
लिलानाथ श्रेष्ठ | सिराहा-३ | मोहन कुमार श्रेष्ठ | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
शोभा ज्ञवाली | बर्दिया | कृष्ण प्रसाद खनाल | १० कक्षा | शाखा अधिकृत |
सराज अहमद फारुकी | कपिलवस्तु | औसाफ अहमद खाँ | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
सुहाङ्ग नेम्वाङ्ग | इलाम-२ | दर्शन राई | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
हर्कमाया विश्वकर्मा | झापा | रुद्रमणि घर्तिमगर | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
सभामुख – १ | ||||
देवराज घिमिरे (सभामुख) | झापा-२ | तेज प्रकाश भट्टाराई | स्नातक | सहसचिव |
लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टी नेपाल – १ | ||||
महन्थ ठाकुर | महोत्तरी-३ | सत्येन्द्र कुमार मिश्र | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
जनता समाजवादी पार्टी – २ | ||||
रन्जु कुमारी झा | सप्तरी | सुभाष कुमार यादव | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
हसीना खान | बाँके | बदरुद्दुजा खां | प्लस टु | शाखा अधिकृत |
संसद् सचिवालयका प्रवक्ता एकराम गिरीका अनुसार सुविधा सम्बन्धी कानूनमा स्वकीय सचिव नियुक्ति गर्न योग्यता अनिवार्य नगरेकोले सचिवालयले बाध्यकारी गर्न सकेको छैन। ‘पदाधिकारी र सांसदको स्वकीय सचिव हुन संसद् सचिवालयमा प्रमाणपत्र पेश गर्नुपर्छ, जाँच लिनुपर्छ भनेर कानूनमा उल्लेख छैन’ उनले भने, ‘त्यसैले सचिवालयले बाध्यकारी गर्न नसकेको हो।’
लोकसेवा आयोगका पूर्व अध्यक्ष उमेश मैनाली भने गिरीको तर्कसँग सहमत छैनन्। सुविधा सम्बन्धी कानूनमा दर्जा तोकेर सेवा–सुविधा दिनु भन्ने व्यवस्था भएपछि योग्यता लेखिरहनु नपर्ने उनले बताए। ‘कानूनमा योग्यता नतोकिनु, जस्तोसुकै व्यक्तिलाई नियुक्ति गर्नु भनेको होइन’, उनले भने।
महालेखा परीक्षक तोयम राय पनि ऐनमा निजामती कर्मचारीको दर्जा तोकेर सोही सरहको सुविधा दिनु भनेपछि योग्यता पनि निजामती सरहकै हुनुपर्ने बताउँछन्। ‘कि अधिकृत सरह भन्नुभएन, स्वकीय कर्मचारी मात्रै भन्नुपर्यो’, उनले भने। सांसदका सचिवालयमा रहने कर्मचारीका लागि निश्चित विधि बनाएर योग्यता हेरेर मात्रै नियुक्ति दिनुपर्ने उनको सुझाव छ।
संघीय संसद्का विषयगत १४ वटा समितिका सभापतिले उपसचिव स्तरको स्वकीय सचिव राख्न पाउने सुविधा छ। तर, प्रतिनिधिसभाका १० संसदीय समितिमध्ये ७ वटा समितिका सभापतिले राखेका स्वकीय सचिवको शैक्षिक योग्यता पद अनुसारको छैन। राष्ट्रिय सभाका चारमध्ये तीन वटा समितिका सभापतिले पनि योग्यता नपुगेका स्वकीय सचिवलाई राज्यको ढुकुटीबाट तलबभत्ता खुवाउने गरी नियुक्ति गरेका छन्।
प्रतिनिधिसभाका सभामुख देवराज घिमिरे, राष्ट्रिय सभाका अध्यक्ष नारायण दाहाल, राष्ट्रिय सभामा कांग्रेस संसदीय दलका नेता कृष्णप्रसाद सिटौला, एमालेका मुख्य सचेतक महेशकुमार बर्तौला, नेकपा माओवादीका अध्यक्ष पुष्पकमल दाहालले राजपत्राङ्कित द्वितीय श्रेणी (उपसचिव) सरहको सेवा–सुविधा पाउने गरी नियुक्त गरेका स्वकीय सचिवहरूको शैक्षिक योग्यता त्यस अनुसारको छैन।
उपसचिव सरहको सुविधा पाएर पनि कम योग्यताको स्वकीय सचिव राख्नेमा माओवादीका सचेतक रूपा सोशी चौधरी, प्रमुख सचेतक (राष्ट्रिय सभा) गोपीबहादुर अछामी, राप्रपाका प्रमुख सचेतक ज्ञानबहादुर शाही पनि छन्। संसद्को अर्थ समितिका सभापति सन्तोष चालिसे, उद्योग, वाणिज्य, श्रम तथा उपभोक्ता समिति सभापति अब्दुल खान, कानून न्याय तथा मानवअधिकार समिति सभापति विमला सुवेदीले उपसचिव सरहको तलब सुविधा दिएर त्यसभन्दा कम योग्यताका स्वकीय सचिव राखेका छन्।
त्यस्तै राज्य व्यवस्था समिति सभापति रामहरि खतिवडा, पूर्वाधार विकास समितिका सभापति दीपकबहादुर सिंह, शिक्षा स्वास्थ्य तथा सूचनाप्रविधि समितिका सभापति अम्मरबहादुर थापा, लेखा समितिका सभापति ऋषिकेश पोखरेलका स्वकीय सचिवको पनि योग्यता पुगेको छैन।
राष्ट्रिय सभातर्फ विधायन व्यवस्थापन समितिका सभापति जयन्तीदेवी राई, विकास आर्थिक मामिला तथा सुशासन समितिकी सभापति कमलादेवी पन्त, सार्वजनिक नीति तथा प्रत्यायोजित विधायन समितिका सभापति मायाप्रसाद शर्माले पनि योग्यता नपुगेका स्वकीय सचिव नियुक्ति गरेर उपसचिवस्तरको सुविधा दिइरहेका छन्।
संसद् सचिवालयले नेताहरूलाई रिझाउन उनीहरूका स्वकीय सचिवको योग्यता खोजी नगरेको संसद्का कर्मचारीहरू बताउँछन्। ‘हामीले फारममा योग्यता उल्लेख गर्नुपर्र्नेे व्यवस्था गरेका छौं’ सचिवालयका एक कर्मचारी भन्छन्, ‘तर त्यो फारममा योग्यता चाहिं तोकिएको छैन।’
संघीय संसद्का पदाधिकारीदेखि सदस्यसम्मलाई उनीहरूको जिम्मेवारी प्रभावकारी ढंगले निर्वाह गर्नमा सहयोग पुर्याउन स्वकीय सचिवको व्यवस्था गरिएको हुन्छ। स्वकीय सचिवले सचिवालय व्यवस्थित गर्ने, विभिन्न मुद्दामा अनुसन्धान गरी रिपोर्ट तयार पार्ने, विधेयक संशोधन मस्यौदा लेखन र अध्ययनमा सहयोग गर्ने, निर्वाचन क्षेत्रसँग सम्पर्कमा रही सुझाव दिने आदि काम गर्नुपर्ने भएकाले कम्तीमा पनि शाखा अधिकृत सरहको योग्यता तोकिएको हो।
‘स्वकीय सचिवले नै संसद् सचिवालयसँग समन्वय र सम्पर्क गर्नुपर्छ’ सचिवालयका प्रवक्ता गिरीले भने, ‘सांसदको काम प्रभावकारी र परिणाममुखी होस् भनेर शाखा अधिकृतस्तरको स्वकीय सचिवको व्यवस्था ऐनले गरेको हो।’
महालेखाले औंल्याएकोे कमजोरी
योग्यता र मापदण्ड नपुर्याई नियुक्त गरिएका सांसदका स्वकीय सचिवलाई नियम विपरीत राज्यको तलब भत्ता दिइएको महालेखा परीक्षकको कार्यालयले समेत आफ्नो प्रतिवेदनमा औंल्याउँदै आएको छ।
‘पदाधिकारी र सदस्यले स्वकीय सचिवालयको लागि कर्मचारी सुविधा पाउने व्यवस्था छ। उनीहरूको शैक्षिक योग्यता र पदपूर्ति प्रक्रिया तोकी नियुक्ति गर्ने व्यवस्था मिलाउनुपर्दछ’— महालेखाको ६१औं वार्षिक प्रतिवेदनमा उल्लेख छ।
महालेखाको प्रतिवेदनले औंल्याए अनुसार संसद्का पदाधिकारी र सदस्यका लागि अधिकृतस्तरका ३१० र सहायकस्तरका १२६ गरी ४३६ जना कर्मचारी विना मापदण्ड र विना योग्यता नियुक्त गरिएको छ। उनीहरूका लागि वार्षिक रु.१७ करोड ९२ लाख खर्च हुन्छ।
महालेखाले दिएको सुझावका आधारमा पनि योग्यताकोे मापदण्ड बनाउनु आवश्यक रहेको लोकसेवा आयोगका पूर्व अध्यक्ष मैनाली बताउँछन्। ‘कुनै कानूनमा योग्यता तोकिएको छैन भने प्रचलित अरू कानून आकर्षित हुन्छन्’, उनले भने।
महालेखा परीक्षक तोयम रायका अनुसार महालेखाले कमजोरी औंल्याइदिने हो, यसकोे कार्यान्वयन संसद्बाटै हुनुपर्छ। उनी भन्छन्, ‘संसद्को लेखा समितिले अरू संस्थाको कमजोरी जसरी उठाउँछ, त्यसैगरी सांसदहरूको कमजोरी बारे पनि हेर्नुपर्छ।’ तर, तीन वर्षदेखि महालेखाले पदपूर्तिको प्रक्रिया र योग्यता निर्धारण नगरी निजामती सरहको सेवा–सुविधा दिनु गलत भनिरहँदा पनि संसद् सचिवालयले बेवास्ता गरिरहेको छ।
कक्षा ८ पढेका अधिकृत !
सर्लाही–२ बाट निर्वाचित सांसद महिन्द्र राय यादवले एसएलसीसम्म अध्ययन गरेका छन्। उनले आफ्नो कामलाई प्रभावकारी र सचिवालयलाई व्यवस्थित बनाउन नियुक्त गरेका स्वकीय सचिव सत्यप्रकाश यादवको शैक्षिक योग्यता चाहिं ८ कक्षा उत्तीर्ण मात्रै छ।
संघीय संसद् सचिवालयले यादवलाई राजपत्राङ्कित अधिकृत तृतीय श्रेणी (अधिकृत) सरह तलब सुविधा उपलब्ध गराउँदै आएको छ। ‘सही हो, मैले आठ कक्षा मात्रै पढेको छु’ नातामा महिन्द्र रायका भान्जा सत्यप्रकाशले भने ‘मैले खासै केही गर्नुपर्दैन, सबै मामा आफैंले गर्नुहुन्छ।’ राय संसद्मा कम उपस्थित हुने सांसदमध्ये हुन्। शिक्षा स्वास्थ्य तथा सूचनाप्रविधि समितिका सदस्य समेत रहेका उनी पछिल्लो पटक विद्यालय शिक्षा विधेयकको नियमित छलफल चलिरहँदा एक दिन पनि सहभागी भएका छैनन्।
काठमाडौं क्षेत्र नम्बर १० बाट निर्वाचित सांसद राजेन्द्र केसीले अर्थशास्त्रमा स्नातकोत्तर गरेका छन्। उनको सचिवालयका कर्मचारी विनोद गुरुङको शैक्षिक योग्यता एसएलसी मात्रै हो। गुरुङ आफूले १२ कक्षासम्म अध्ययन गरे पनि सर्टिफिकेट नभएको बताए। उनले भने, ‘मेरो योग्यता एसएलसी मात्रै हो, प्लस टुको सर्टिफिकेट छैन।’
संसद् सचिवालयले उपलब्ध गराएको विवरण अनुसार १० कक्षा मात्र उत्तीर्ण गरेका स्वकीय सचिव राख्ने सांसदहरू १५ जना छन्। सांसदहरू अस्मा कुमारी चौधरी, ईश्वरबहादुर रिजाल, गंगा कार्की, कृष्णकुमार श्रेष्ठ, दयालबहादुर शाही, दिनेशकुमार यादव, ध्रुवबहादुर प्रधान, पूर्णबहादुर घर्ती, विनाकुमारी थनैत, मंगलप्रसाद गुप्ता, राजेन्द्रकुमार केसी, रामकृष्ण यादव, शोभा ज्ञवाली र सुशीला सिर्पाली ठकुरीले १० कक्षा पढेका व्यक्तिलाई स्वकीय सचिव बनाएका छन्।
राष्ट्रिय सभा सदस्य सावित्री मल्लले पनि १० कक्षा मात्र पढेका स्वकीय सचिव राखेकी छन्। प्रतिनिधिसभाका ६५ जना सांसद र राष्ट्रिय सभाका १८ जना सांसदले नियुक्त गरेका १२ कक्षा पढेका स्वकीय सचिवलाई संसद् सचिवालयले अधिकृतस्तरको तलब सुविधा दिइरहेको छ।
अधिकृत सरहकोे सुविधा दिई सोभन्दा कम योग्यताका स्वकीय सचिव राख्ने प्रतिनिधिसभामा कांग्रेसका २३, एमालेका २०, माओवादीका १७, रास्वपाका ४, एकीकृत समाजवादीका १, राप्रपाका ७, जनता समाजवादीका २, जनमतका ३, नागरिक उन्मुक्ति पार्टीका २ जना छन्।
त्यस्तै राष्ट्रिय सभामा जसपाका १, नेकपा एकीकृत समाजवादीका ३, एमालेका १, माओवादीका ८, कांग्रेसका ३ र लोकतान्त्रिक समाजवादी पार्टीका १ जनाले पनि अधिकृत सरहको सुविधा दिई कम योग्यताका कर्मचारी नियुक्त गरेका छन्।
संसद्मा रमिता
प्रतिनिधिसभाको १९ चैत २०८० को बैठकमा ‘विद्युतीय व्यापार’ विधेयक माथि छलफल भइरहेको थियो। ‘अनलाइन’ व्यापारलाई नियमन गर्न ल्याइएको यो विधेयकलाई रौतहट–२ बाट निर्वाचित एमालेका सांसद किरणकुमार साहले ‘विद्युत् व्यापार’ ठानेर ऊर्जा क्षेत्रको व्यापार बारे व्याख्यान दिन थाले।
बैठकमा उनले भने, ‘…यस विधेयकले स्वकीय कम्पनीहरूलाई विद्युत् व्यापारमा भाग लिन अनुमति दिन्छ… जसले गर्दा प्रतिस्पर्धालाई बढावा दिएर विद्युत् उत्पादनलाई पक्कै बढाउने छ। नेपालीले न्यून पैसामा बिजुली उपभोग गर्न पाउने सम्भावना हुनेछ।’
त्यसअघि २७ असार २०८० मा यही विधेयकबारे राष्ट्रिय सभामा भएको छलफलमा एमाले सांसद भगवती न्यौपाने, तुलसाकुमारी दाहाल, विमला घिमिरे, कांग्रेस सांसद जितेन्द्रनारायण देव र तत्कालीन उद्योग मन्त्री रमेश रिजालले समेत विद्युत् व्यापार ठानेर बोलेपछि त्यो छलफल नै व्यर्थ हुन पुगेको थियो।
कांग्रेस सांसद नागिना यादवले त जीवित व्यक्तिलाई मृत्यु भइसकेकोसम्म भनेकी थिइन्। ५ असार २०८१ को प्रतिनिधिसभा बैठकमा आकस्मिक समय लिएर बोलेकी उनले तराईका जिल्लामा आतंककारी गतिविधि भइरहेको भन्दै सरकारको ध्यानाकर्षण गराइन्। महोत्तरीको गौशालाका एक व्यक्तिको नामै लिएर उनका छोराको गोली हानी हत्या भएको तर, किटानी जाहेरी दिंदा पनि प्रहरीले दोषीलाई पक्राउ नगरेको उनले गुनासो सुनाइन्।
यद्यपि, नागिनाले मृत्यु भएको भनेका व्यक्ति घाइते मात्रै भएको अर्का सांसद महेन्द्रकुमार रायले संसद्लाई जानकारी गरए। उनले भने, ‘… मृत्यु भएको होइन, घाइते मात्रै भएको हो। उहाँको टिचिङ अस्पतालमा उपचार भइरहेको छ।’ सांसद नागिनाले बोलेको कुरा गलत भएपछि सभामुख देवराज घिमिरेले रेकर्डबाट हटाउन निर्देशन दिए।
बाँके–२ बाट निर्वाचित एमाले सांसद सूर्यप्रसाद ढकालले शिक्षा विधेयकमा आफूले दर्ता गराएको संशोधन कुन विषयको थियो भन्ने नै बिर्सिदिए। गएको ९ साउनमा बसेको प्रतिनिधिसभाको शिक्षा स्वास्थ्य तथा सूचनाप्रविधि समितिको बैठकमा उनले त्यसको दोष समितिलाई दिंदै भने, ‘ऊ बेला के हालियो बिर्सियो। अहिले मैले हालेको संशोधन नै पाइएन।’ खासमा संशोधनकर्ताले उक्त संशोधन किन आवश्यक छ भनेर समितिलाई जानकारी दिनुपर्छ र त्यसकै लागि उनी समिति बैठकमा गएका थिए।
संसद्को विधेयक शाखाका एक कर्मचारी त केही सांसदले स्वकीय सचिवलाई बिचौलिया बनाएको आरोप लगाउँछन्। उनी भन्छन्, ‘उनीहरूको काम के हो भन्ने नै थाहा छैन। अध्ययन अनुसन्धान त परको कुरा भयो। स्वार्थ समूहले तयार पारिदिएको संशोधनमा सही गर्ने भएकाले उनीहरूलाई आफैंले हालेको संशोधनको विषय समेत थाहा हुँदैन।’
प्रतिनिधिसभाको २४ जेठको बैठकमा विनियोजन विधेयकमाथि छलफल भइरहेको थियो। तर, कांग्रेस सांसद राजेन्द्र केसीले रोस्ट्रमबाट सुरक्षण मुद्रण सम्बन्धी विधेयकबारे बोल्न शुरू गरे। उनले ‘राष्ट्रिय सभामा उत्पत्ति भएको सुरक्षण मुद्रण सम्बन्धी विधेयकमा छलफल गर्दैछौं’ भनेपछि सांसदहरू हाँसे। सभामुखले अर्कै विधेयक माथि छलफल भइरहेको बताएपछि केसीले कार्यसूची हेरे र, बोल्दै नबोली रोस्ट्रमबाट ओर्लिए।
सांसदका स्वकीय सचिव जिम्मेवार र योग्य व्यक्ति हुँदा हुन् त सांसदले त्यस दिन कुन विषयमा बोल्ने, संसद्मा के विषयमा छलफल भइरहेको छ, त्यसबारे अहिलेसम्म भएका अध्ययन के–कस्ता छन् जस्ता विषयमा पहिल्यै जानकारी पाउँथे। न सांसदहरू हाँसोको पात्र बन्नुपथ्र्यो न त संसद्मा हुने छलफलहरू व्यर्थ हुन्थे।
राष्ट्रिय सभामा मनोनीत सदस्य अन्जान शाक्य योग्य व्यक्ति सचिवालयमा हुँदा आफूलाई संसद्मा बोल्न सजिलो हुने र प्रस्तुति पनि सार्थक हुने बताउँछिन्। उनले कानूनमा स्नातकोत्तर अधिवक्ता सुशीला श्रेष्ठलाई स्वकीय सचिव नियुक्त गरेकी छन्। सांसद शाक्यलाई सभा र समितिमा बोल्न आवश्यक तथ्य–तथ्यांक खोजेर सामग्री तयार पारिदिने, विधेयकबारे अध्ययन गरेर जानकारी दिने, विज्ञहरूसँग छलफल गरेर निचोड तयार पारिदिने काम श्रेष्ठले गर्छिन्।
‘उहाँले मेरो सचिवालय व्यवस्थित पारिदिने मात्रै होइन, मलाई संसदीय प्रक्रियामै सहयोग गरिरहनुभएको छ’ सांसद शाक्य भन्छिन्, ‘वकालत गर्ने भएकोले उहाँले विधेयक कस्तो छ र त्यसको कुन कुन पाटोमा संशोधन चाहिन्छ भन्ने विषयमा सुझाव दिनुहुन्छ। विज्ञसँग छलफल गरेर निष्कर्षमा पुग्छौं।’
सिन्धुपाल्चोकबाट माओवादी केन्द्रका सांसद माधव सापकोटा पनि सचिवालयको सहयोगमा तयारी गरेर जाँदा संसद्का बैठकहरू सार्थक हुने बताउँछन्। ‘संसद्मा उठ्न सक्ने वा उठाउनुपर्ने कुनै नयाँ विषय छ भने पनि सचिवालयले फाइल बनाइदिएको हुन्छ’ सापकोटा भन्छन्, ‘त्यसै अनुसार तयारी गर्दा कसैले आंैला उठाउन सक्दैन।’ विधेयकको सैद्धान्तिक छलफलमा भाग लिन जानुअघि कानूनका विद्यार्थीको समेत सहयोग लिने गरेको सापकोटा बताउँछन्।
राष्ट्रिय स्वतन्त्र पार्टीकी सांसद निशा डाँगीले त स्वकीय सचिव नियुक्तिका लागि विज्ञापन नै गरेकी थिइन्। उनले कानूनमा स्नातक स्वकीय सचिव र अन्य तीन जना ‘इन्टर्न’ राखेकी छन्। यही सचिवालयलाई सक्रिय बनाएर डाँगी आफूले संसद्मा गरेका कामको ‘रिपोर्ट कार्ड’ समेत सार्वजनिक गर्छिन्। उनी भन्छिन्, ‘सचिवालयमा योग्य व्यक्ति हुँदा संसद्मा के बोल्ने, कुन विधेयकमा कस्तो संशोधन हाल्ने, अभिलेख राख्ने लगायत काममा निकै सहयोग पुगेको मेरो अनुभव छ।’
स्वकीय सचिवलाई जिम्मेवार बनाउने दायित्व संसद्को
स्वकीय सचिवलाई जिम्मेवार बनाउने दायित्व संसद् सचिवालयको पनि हो। त्यसैले नयाँ स्वकीय सचिव आउने वित्तिकै सचिवालयले तालिम दिनुपर्छ। संसदीय समिति र सदन चलेको दिन स्वकीय सचिवहरूको पनि हाजिरी लिने व्यवस्था गर्नुपर्छ।
मुकुन्द शर्मा, पूर्व सचिव, संसद् सचिवालय
सांसदलाई स्वकीय सचिव दिनेबारे विभिन्न देशमा फरक–फरक अभ्यास छ। नेपालको सन्दर्भमा सांसदको कामलाई प्रभावकारी बनाउन योग्य सहयोगीको आवश्यकता महसुस गरेरै सरकारले तलब दिने गरी स्वकीय सचिव राख्ने व्यवस्था गरेको हो।
एक जना सांसदले संसदीय सत्रहरू र समितिका बैठकहरूमा सहभागी हुने, विभिन्न दस्तावेजको अध्ययन गरी त्यसमा आफ्नो राय व्यक्त गर्ने, निर्वाचन क्षेत्र, मतदातासँग सम्पर्क र समन्वय गर्ने आदि काम गर्नुपर्छ। विधेयक माथिको छलफलमा भाग लिने, आवश्यक संशोधन दर्ता गराउने जस्ता काम त अनिवार्य विधायिकी काम नै भए।
यी सबै काममा सूचना संकलन गर्ने, अनुसन्धान गर्ने, संसदीय छलफलमा बोल्नका लागि सटिक सामग्री तयार पारिदिने जस्ता काममा सहयोगका लागि नै स्वकीय सचिवको व्यवस्था गरिएको हो।
हाम्रा सांसदहरू विभिन्न पृष्ठभूमिबाट आएका छन्। सबै सांसदसँग सबै विषयमा दक्षता हुँदैन। अलिक दक्ष र अध्ययनशील सांसदका पनि सीमितता हुन्छन्। सबै काम सांसद एक्लैबाट सम्भव नहुने हुँदा उनीहरूको कार्यक्षमता अभिवृद्धिका लागि अधिकृतस्तरको स्वकीय सचिव दिने भनिएको हो।
तर, अहिले धेरै माननीयका स्वकीय सचिव परिवारका सदस्य, निकटका कार्यकर्ता छन् भन्ने सुनिन्छ। छोरा–छोरी, भाइ–भतिज, भान्जा–भान्जीलाई सुविधा दिन यो प्रावधान हुँदै होइन। सांसदकै क्षमता अभिवृद्धि र कार्य कुशलता बढाउनका लागि गरिएको व्यवस्था हो, यो।
स्वकीय सचिव शिक्षित, अनुसन्धान सीप राम्रो भएको साथै कानून र राजनीति बुझेको हुनैपर्छ। तर दुर्भाग्य ! ऐनले परिकल्पना गरेभन्दा फरक अवस्था देखिएको छ। धेरै सांसदहरूले आफ्ना व्यक्तिगत स्वार्थपूर्तिका लागि यो पदको दुरुपयोग गरेका छन्। शैक्षिक योग्यता पुगेका भए पनि आफन्त र निकटका व्यक्तिलाई नियुक्ति गर्नु उचित होइन। यसरी सचिवालय चुस्त र दक्ष बन्दैन। न त संसदमा सार्थक बहस हुन्छ।
सांसदको स्वकीय सचिवले अधिकृत स्तरको तलब पाउँछन् भने कम्तीमा बीए पास भएको, कम्प्युटर चलाउन जान्ने, संसदीय अभ्यास बुझ्ने व्यक्तिलाई नियुक्त गर भनेको हो। जुन कामको लागि सुविधा दिइएको हो, त्यही अनुसार प्रयोग गर्नुपर्छ। क्षमतावान् स्वकीय सचिव भएका सांसद र आफन्त नियुक्त गरेका सांसदको प्रस्तुति तुलना गर्नै नसकिने किसिमले फरक देखिएको छ।
पदाधिकारीका स्वकीय सचिवलाई सहसचिव र उपसचिवस्तरको तलब दिने ऐनमा व्यवस्था छ। निश्चित तहको तलब दिने भनेपछि त्यो तहको योग्यता भएको व्यक्तिलाई नै नियुक्त गर भनिरहनु पर्दैन। कामको प्रकृति र पाउने सुविधाले नै योग्यता निर्धारण गरिसकेको हुन्छ, सामान्य कुरा हो, यो। तर, पदाधिकारीले समेत यो नबुझ्नु विडम्बना हो।
अब के गर्ने ?
सरकारले दिएको सुविधा त सबै सांसदले उपयोग गरेका छन्। जसले योग्यता पुगेका व्यक्ति राखेका छैनन् उनीहरूले तत्कालै सच्याउनुपर्छ। नैतिकताको विषय पनि हो, यो। सांसदको नैतिकता माथि अरूले प्रश्न उठाउनु भन्दा पहिले आफैंले सुधार गर्नु उत्तम हुन्छ।
ऐनको भावना र आवश्यकता अनुसार काम भइरहेको छैन भने त्यसमा संशोधन गरेर स्पष्ट पार्नुपर्छ। संसद् सचिवालयले पनि कुन सांसद वा पदाधिकारीको स्वकीय सचिव को हो भन्ने विवरण मात्र राख्ने गरेको छ। त्यही विवरणका आधारमा परिचयपत्र पनि दिइन्छ। अब यतिले मात्रै नपुग्ने भयो। नियुक्तिका लागि मापदण्ड र योग्यता तोक्नुपर्ने भयो।
स्वकीय सचिवलाई जिम्मेवार बनाउने दायित्व संसद् सचिवालयको पनि हो। त्यसैले नयाँ स्वकीय सचिव आउने वित्तिकै सचिवालयले तालिम दिनुपर्छ। संसदीय समिति र सदन चलेको दिन स्वकीय सचिवहरूको पनि हाजिरी लिने व्यवस्था गर्नुपर्छ।
स्वकीय सचिवहरू नियमित उपस्थित हुनथाले भने उनीहरूले ‘पिजनहोल’ मा राखेको ‘डकुमेन्ट’ सांसदको हातहातमा पुर्याउन सक्छन्। कुनै सांसदले मैले कागजात पाएन भन्यो भने त्यो दिन स्वकीय सचिव संसद् सचिवालयमा हाजिर छ कि छैन भनेर हेर्न सहज हुन्छ। त्यसो गरियो भने सांसदको सचिवालय व्यवस्थित हुन सक्छ।